Monday, 17 December 2012

‎"वो समझ ले एक बार इन बरसती बूंदों की वजह क्या है !!!!!!
मेरे आंसूं यूँ ही नहीं उड़ कर बादल बन जाते 
बरस रही बूंदों को यूँ न करो जुदा खुदसे !!!!!!!!!!
हाथ की छत्री को भी जलाने का माद्दा रखते हैं ये ”........

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