"वो समझ ले एक बार इन बरसती बूंदों की वजह क्या है !!!!!!
मेरे आंसूं यूँ ही नहीं उड़ कर बादल बन जाते
बरस रही बूंदों को यूँ न करो जुदा खुदसे !!!!!!!!!!
हाथ की छत्री को भी जलाने का माद्दा रखते हैं ये ”........
मेरे आंसूं यूँ ही नहीं उड़ कर बादल बन जाते
बरस रही बूंदों को यूँ न करो जुदा खुदसे !!!!!!!!!!
हाथ की छत्री को भी जलाने का माद्दा रखते हैं ये ”........